कमिश्नर प्रणाली लागू होने से कानून व्यवस्था से जुड़े कई प्रावधानों की कमान ब्यूरोक्रेसी के हाथों से निकल कर खाकी के हाथ आ जाएगी, इसीलिए आईएएस लॉबी कमिश्नर प्रणाली के पक्ष में नहीं है। पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू हो गई तो रास्ते के विवाद पर पुलिस सीधे फैसला ले सकेगी।
उत्तर प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी यदि हमेशा की तरह आड़े नहीं आई तो प्रदेश में नई पुलिस कमिश्नर प्रणाली को योगी सरकार अमली जाना पहना सकती है। पुलिस कमिश्नर व्यवस्था को लेकर मंथन शुरू हो गया है। बीते दिनों जिस तरह से खाकी वर्दी वालों के दाग सामने आए हैं उसे धोने के लिए पुलिस कमिश्नर प्रणाली की चर्चा तेज हो गई है। यह प्रणाली देश के कई बड़े महानगरों में लागू है और अपराध को नियंत्रण के लिए काफी सफल भी रही है। वैसे, प्रदेश में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने की मांग नई नहीं है, लेकिन कई सरकारें आईं और चली गई परंतु ब्यूरोक्रेसी के दबाव में कभी इस व्यवस्था की शुरुआत नहीं हो पाई। पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार में भी बढ़ते अपराधों से चिंतित पुलिस के कुछ अधिकारियों ने पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने की मांग पुरजोर तरीके से उठाई थी। तब तत्कालीन डीजीपी रिजवान अहमद की मांग पर उस समय के सीएम अखिलेश यादव ने तत्कालीन मुख्य सचिव आलोक रंजन की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय कमिटी का गठन भी किया था। हालांकि, इस कमेटी की एक भी बैठक ही नहीं हुई।