डॉक्टर, शोधकर्ता, स्वास्थ्यकर्ता और वॉलंटियर्स 24 घंटे सेवा में लगे हुए हैं, इनके प्रयासों की दुनिया भर में सराहना


नई दिल्ली. कोरोनावायरस ने 183 देशों को चपेट में ले लिया। अब तक 11,179 लोगों की मौत हो चुकी है। 2 लाख 65 हजार 867 मामलों की पुष्टि हो चुकी है। 90,630 मरीज स्वस्थ भी हुए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन से महामारी घोषित किया है। इसकी शुरुआत चीन से हुई थी। यहां इस बीमारी के बारे में जागरुकता फैलाने वाले चार लोगों में एक अब दुनिया में नहीं हैं। इनके प्रयासों से कोरोनावायरस से लड़ने में मदद मिली है। दुनिया इनकी सराहना कर रही है।  


चेतावनी देने वाले पहले व्हिसल ब्लोअर: डॉ. ली वेंगलियांग, वुहान सेंट्रल हॉस्पिटल में नेत्र विशेषज्ञ थे 
34 साल डॉ. ली वेंगलियांग चीन में कोरोनावायरस के बारे में लोगों को बताने वाले और सरकार के रवैये के खिलाफ आवाज उठाने वाले पहले व्यक्ति थे। वे अब दुनिया में नहीं हैं। 31 दिसंबर को उन्होंने लोकप्रिय चीनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वीचैट पर वायरस के बारे में लोगों को चेतावनी दी थी। इसके बाद पुलिस ने उन्हें एक पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा था। उन पर अफवाह फैलाने का आरोप लगाया गया था और उन्हें अपना मुंह बंद करने के लिए भी कहा गया था, लेकिन इस सबके बावजूद डॉ. ली ने अपना काम जारी रखा। वह मरीजों का इलाज करते रहे और लोगों को भी इस बीमारी के बारे में जागरूक करते रहे।


डॉ. ली ने संक्रमण की गंभीरता को समझा, उन्हें लगा कि सार्स जैसा कोई वायरस, जो इंसानों से इंसानों में फैला था, दोबारा वापस आ गया है। डॉ. ली ने सात ऐसे मामले देखे थे जिनमें सार्स जैसे किसी वायरस के संक्रमण के लक्षण थे। 31 जनवरी को डॉ. ली ने न्यूयॉर्क टाइम्स के एक पत्रकार को इंटरव्यू दिया था। उन्होंने बताया था कि 10 जनवरी को उन्हें खांसी शुरू हुई थी। 


पहली डॉक्टर जिन्होंने वायरस के बारे में बताया: डॉ. जहांग जियांग, श्वसन तंत्र विशेषज्ञ हैं
नोवल कोरोनावायरस का पता लगाने वाली 54 साल की डॉ. जहांग जियांग दुनिया की पहली डॉक्टर हैं। 26 दिसंबर को हॉस्पिटल में रेस्पिरेटरी और क्रिटिकल केयर डिपार्टमेंट की निदेशक डॉ. जहांग जियांग ने चार मरीज़ों में कुछ लक्षण एक जैसे पाए। उन्होंने देखा कि मरीज़ों को निमोनिया है और उनके फेफड़ों में एक जैसा संक्रमण दिख रहा है। इन मरीज़ों में तीन तो एक ही परिवार से थे। अगले दिन उनके पास तीन और मरीज़ उन्हीं लक्षणों के साथ इलाज कराने के लिए आए। उन्हें यह सब अजीब लगा और इसके बारे में उन्होंने खोजबीन शुरू की। उन्होंने तुरंत अस्पताल के दूसरे विभागों को सूचित किया और बताया कि यह कोई सामान्य बीमारी नहीं है।


27 दिसंबर को डॉ. जहांग ने चीनी स्वास्थ्य अधिकारियों को बता दिया था कि नई बीमारी कोरोनावायरस के चलते फैल रही है। डॉ. जहांग जियांग की कहानी सामने आने के बाद वह चीनी सोशल मीडिया में हीरो बन गईं। वह सार्स वायरस से निपटने वाली टीम में भी शामिल थीं। उन्होंने बताया कि उस समय का प्रशिक्षण उन्हें इस वक्त काम आया।


तब इबोला का खात्मा, अब कोरोना ड्रग टेस्ट कर रहीं: चेन वुई, जीवाणुविज्ञानी, द इंस्टीट्यूट ऑफ बायोइंजीनियरिंग
54 साल की चेन वुई चीन की शीर्ष सैन्य जैव-युद्ध विशेषज्ञ हैं। वह द इंस्टीट्यूट ऑफ बायोइंजीनियरिंग, अकेडमी ऑफ मिलिट्री मेडिकल साइंसेस में वैज्ञानिक भी हैं। चीनी मीडिया के मुताबिक चेन और उनकी टीम ने कोरोनावायरस से लड़ने के लिए वैक्सीन विकसित कर ली है। वह 26 जनवरी से इस वैक्सीन पर काम कर रही थीं। सरकार ने उन्हें क्लीनिकल ट्रायल की अनुमति भी दे दी है। चेन के मुताबिक अगर परीक्षण सफल होता है, तो यह कोरोनावायरस के खिलाफ पहला टीका होगा।


वैज्ञानिक के अलावा पीपुल लिबरेशन आर्मी में मेजर जनरल चेन का इससे पहले सार्स और इबोला जैसे वायरस का टीका बनाने में भी योगदान रहा है। उन्होंने 2003 में सार्स से लड़ने के लिए मेडिकल स्प्रे बनाया था। 2015 में डॉ. चेन को चीनी सरकार ने इबोला वायरस की वैक्सीन विकसित करने के लिए दक्षिण अफ्रीकी देश सिएरा लिओन भेजा था। अफ्रीका में इबोला तेजी से फैल रहा था। ऐसे में डॉ. चेन की रिसर्च ने काफी मदद की थी।


इनके रिसर्च पेपर ने बदली पूरी रणनीति: नील फर्गुसन, महामारी विशेषज्ञ, इंपीरियर कॉलेज, लंदन
52 साल के नील फर्गुसन ने ब्रिटिश सरकार को चेतावनी दी थी कि अगर ज़रूरी कदम नहीं उठाए गए तो अकेले ब्रिटेन में ही 2 लाख 60 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो सकती है। नील कोरोनावायरस की गंभीरता को समझ रहे थे और पिछले दो महीने से वायरस पर रिसर्च पेपर लिख रहे थे। नील के रिसर्च पेपर के बाद ब्रिटिश सरकार ने कोविड 19 से लड़ने की अपनी रणनीति बदल दी। इसके बाद ही ब्रिटेन में वर्क फ्रॉम होम शुरू हुआ।


सरकार ने जरूरी कदम उठाते हुए स्कूल्स, मॉल, थिएटर और सार्वजनिक जगहें बंद कर दी हैं। नील ने 16 मार्च को ट्विटर पर लिखा कि उन्हें खांसी और बुखार है। उन्हें कुछ-कुछ कोविड जैसे लक्षण दिख रहे थे। इसके बाद उन्होंने खुद को आइसोलेट कर लिया है। नील इंपीरियर कॉलेज लंदन के सेंटर फॉर एपिडेमियोलॉजिकल एनालिसिस एंड मॉडलिंग ऑफ इंफेक्सियस डिज़ीज़ के निदेशक हैं। नील गणितज्ञ भी हैं। उन्होंने सरकार को अपने अनुमान के मुताबिक चेतावनी दी है कि अगर सावधानियां नहीं रखी गईं, तो मौत का आंकड़ा बढ़ सकता है।